ये धरा है पावन कर्म बनकर सत्कर्म धर्म के पथ पर तू बनकर आदर्श बढ़ चल तू बढ़ चल। ये धरा है पावन कर्म बनकर सत्कर्म धर्म के पथ पर तू बनकर आदर्श बढ़ चल...
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
नारी मूरत नहींं एक इन्सान है, इस धरती की एक अलौकिक शान है । नारी मूरत नहींं एक इन्सान है, इस धरती की एक अलौकिक शान है ।
उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है। उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है।
कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। मधुरिम मधुरिम कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। म...
माँ माँ